कोरोना वायरस के संकटकाल में 50 हजार लगाकर कमाए 4 करोड़, पढ़िए

कोरोना वायरस के दौर में हर कोई मुश्किल में है। एक तरफ महामारी का डर, तो दूसरी तरफ काम-धंधे ठप्प, नौकरियां संकट में। ऐसे में यदि कोई कहे कि उसने हालात को देखते हुए अपने काम में बदलाव किया और करोड़ों की कमाई कर ली, तो हैरानी होना वाजिब है। ऐसे ही कारनामा कर दिखाया है हरियाणा के राहुल बजाज (Rahul Bajaj) ने। लॉकडाउन से पहले Rahul Bajaj का सोनीपत में बर्तन का कारोबार था। उनके कारखाने में 400 कर्मचारी बर्तन बनाते थे। लॉकडाउन के कारण सब बंद हो गया और कर्मचारी भी बेकार हो गए, लेकिन Rahul Bajaj ने उम्मीद नहीं छोड़ी।

Rahul Bajaj से सुनिए उनकी सफलता की कहानी

'लॉकडाइन के बाद के हालात पर मैंने अपने सभी कर्मचारियों के साथ विचार-विमर्श किया। उसी दौरान मुझे एक अस्पताल के हैंडवॉश स्टेशन की याद आई। तभी मेरे के मन में फुटपैडल से चलने वाले हैंड्स-फ्री वॉश स्टेशन बनाने का ख्याल आया। 3 दिनों में हमने प्रोटोटाइप तैयार किया और पहला स्टेशन अपनी कॉलोनी में स्थापित किया। इस काम की शुरुआत मुझे 50,000 रुपए करने पड़े। अब स्थिति यह है कि मुझे हैंडवॉश स्टेशन के लिए 850 ऑर्डर मिल चुके हैं। अब तक मैं लगभग 1.25 करोड़ रुपए का कारोबार कर चुका हूं और कई ऑर्डर आ रहे हैं।'

'जब मैं बर्तन बनाता था तो दुनिया की शीर्ष रिटेल कंपनी वालमार्ट को भी सप्लाई करता था। हैंडवॉश स्टेशन को भी मैंने वालमार्ट इंडिया को भेजा, जो उन्हें बहुत पसंद आया। अब मैं वालमार्ट इंडिया से फीडबैक मिलने के बाद सेंसर आधारित सैनिटाइजर डिस्पेंसर पर काम कर रहा हूं। मेरे पास इस प्रकार के डिस्पेंसर और हैंडवॉश स्टेशन के लिए लगभग 2.5 करोड़ रुपए के ऑर्डर हैं। मैं शूज सैनिटाइजर भी बना रहा हूं। इसकी कीमत 1500 रुपए से लेकर 15,000 रुपए होगी, जो उसके आकार व बिजली की खपत पर निर्भर करेगी।

'भारत सरकार के गृह मंत्रालय के साथ ही सीआरपीएफ, बीएसएफ, पुलिस स्टेशन, मोहल्ला क्लीनिक, हीरो मोटोकॉर्प और विप्रो समेत आम आदमी पार्टी और भाजपा जैसे राजनीतिक दलों से भी मुझे ऑर्डर मिले हैं। इस तरह कोरोना के संकट काल में 95 कर्मचारी मेरे साथ काम कर रहे हैं। इस कारोबार के कारण ही मैं अपने पुराने कर्मचारियों को आसान से तनख्वाह दे पा रहा हूं।

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